२६ नोव्हेंबर अर्थात भारताचा संविधान सन्मान दिवस....!! | India constitution day






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संविधान ने यहां हर आदमी की आजादी को सुरक्षित रखा है...!!
                  संविधान से पहले हमारे देश में कई लोगों को जाति, धर्म के नाम पर अपने जीवन से वंचित रखा गया था, उनका जीवन जानवरों जैसा था, उन पर छुआछूत का कलंक लगा दिया गया था, इसलिए वह वर्ग गौकुसा के बाहर था, वह अब एस. सी। एस। टी, जिसे खानाबदोश कहा जाता है, हमारे देश का इतिहास है...!!
   उनकी संख्या 13% एस है। सी। 7% एस. टी और 4% खानाबदोश का टोटल 24% होता है...!!
           संविधान के पूर्व यहाँ स्त्री केवल उपभोग का साधन थी, पति के मर जाने पर उसे सती होना पड़ता था, बाद में विधवा हो जाने पर उसके सिर के बाल मुंडवा दिये जाते थे और उसे केशवपन कहा जाता था। आदमियों का गुलाम, यही हमारे देश का इतिहास है...! !
 महिलाओं की संख्या 49% थी।
                          संविधान से पहले यहां जाति व्यवस्था थी, उसे चातुर्वर्ण्य कहा जाता था, चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र थे...!!
           मनुस्मृति कहती है कि शूद्र का जन्म उपरोक्त तीनों वर्णों की सेवा करने के लिए हुआ है, नहीं, मनु ने इसे मनुस्मृति में लिखा है, इसलिए उसे ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार नहीं था, अर्थात सीखने का, और धन रखने का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन वह अपनी सेवा प्रदान कर रहा था अलूत्या और बलुतिया...!!
                  यह शूद्र वर्ण जातियों में बंटा हुआ था, उसे 3746 जातियों में बांटा गया था, उसे सेवा करने के लिए मजबूर किया गया था, उसे गुलाम बनाया गया था, उसकी आजादी छीन ली गई थी, यह हमारे देश का इतिहास है...!!
 इस शूद्र वर्ण की संख्या देश की जनसंख्या का 52% है...!!
                मनुस्मृति ने संविधान से पहले हमारे देश में बहुसंख्यक लोगों की आजादी को छीनकर हमारे देश में राज किया, जिस व्यवस्था ने देश में बहुसंख्यक लोगों को गुलाम बनाया, उसने असमानता की व्यवस्था को बदल दिया, संविधान ने हर व्यक्ति की आजादी को बरकरार रखा नागरिक, सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया है, सबको समान अवसर दिया है, किया गया है, सभी को न्याय का वादा किया गया है, भाईचारे के मूल्यों को मन में बैठाकर सभी को मानवीय मूल्य प्रदान किए गए हैं और इसलिए यह है हमारे संविधान की रक्षा करना यहां सभी की जिम्मेदारी है।
 सभी भारतीय भाइयों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
जयभीम।
- भास्कर भोजने - सामाजिक कार्यकर्ता


The constitution has preserved the freedom of every man here...!!
                  Before the constitution many people in our country were deprived of their lives in the name of caste, religion, their lives were like animals, the stigma of untouchability was imposed on them, so that class was outside the Gawkusa, it is now S. C. S. T, known as nomadism is the history of our country...!!
   Their number is 13% s. C. 7% of S. T and 4% nomadic total is 24%...!!
           Before the constitution, a woman here was only a tool for consumption, if her husband died, she had to go to sati, later on, if she became a widow, the hair on her head was shaved and it was called Keshavpan. She was a slave of men. It is the history of our country...! !
 The number of women was 49%.
                          Before the constitution, there was a caste system here, it was called Chaturvarnya, the four varnas were Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas, and Shudras...!!
           Manusmriti says that Shudra was born to serve all the above three varnas, no, Manu has written it in Manusmriti, so he had no right to acquire knowledge, i.e. to learn, and no right to own wealth, but he was rendering his service to Alutya and Balutya... !!
                  This Shudra varna was divided into castes, he was divided into 3746 castes, he was forced to do service, he was made a slave, his freedom was taken away, this is the history of our country...!!
 The number of this Shudra varna is 52% of the country's population...!!
                Manusmriti reigned in our country by taking away the freedom of the majority of the people in our country before the constitution, the system which enslaved the majority of the people in the country has changed the system of inequality, the constitution has preserved the freedom of every citizen, has given everyone the right to receive education, and everyone has equal opportunities. It has been done, everyone has been promised justice, human values ​​have been imparted to everyone by inculcating the values ​​of brotherhood and therefore it is the responsibility of everyone here to protect our constitution.
 Best wishes to all Indian brothers on Constitution Day...!!
Jaibhim.
- Bhaskar Bhojane - Social Activist

संविधान ने यहां हर आदमी की आजादी को सुरक्षित रखा है...!!
                  संविधान से पहले हमारे देश में कई लोगों को जाति, धर्म के नाम पर अपने जीवन से वंचित रखा गया था, उनका जीवन जानवरों जैसा था, उन पर छुआछूत का कलंक लगा दिया गया था, इसलिए वह वर्ग गौकुसा के बाहर था, वह अब एस. सी। एस। टी, जिसे खानाबदोश कहा जाता है, हमारे देश का इतिहास है...!!
   उनकी संख्या 13% एस है। सी। 7% एस. टी और 4% खानाबदोश का टोटल 24% होता है...!!
           संविधान के पूर्व यहाँ स्त्री केवल उपभोग का साधन थी, पति के मर जाने पर उसे सती होना पड़ता था, बाद में विधवा हो जाने पर उसके सिर के बाल मुंडवा दिये जाते थे और उसे केशवपन कहा जाता था। आदमियों का गुलाम, यही हमारे देश का इतिहास है...! !
 महिलाओं की संख्या 49% थी।
                          संविधान से पहले यहां जाति व्यवस्था थी, उसे चातुर्वर्ण्य कहा जाता था, चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र थे...!!
           मनुस्मृति कहती है कि शूद्र का जन्म उपरोक्त तीनों वर्णों की सेवा करने के लिए हुआ है, नहीं, मनु ने इसे मनुस्मृति में लिखा है, इसलिए उसे ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार नहीं था, अर्थात सीखने का, और धन रखने का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन वह अपनी सेवा प्रदान कर रहा था अलूत्या और बलुतिया...!!
                  यह शूद्र वर्ण जातियों में बंटा हुआ था, उसे 3746 जातियों में बांटा गया था, उसे सेवा करने के लिए मजबूर किया गया था, उसे गुलाम बनाया गया था, उसकी आजादी छीन ली गई थी, यह हमारे देश का इतिहास है...!!
 इस शूद्र वर्ण की संख्या देश की जनसंख्या का 52% है...!!
                मनुस्मृति ने संविधान से पहले हमारे देश में बहुसंख्यक लोगों की आजादी को छीनकर हमारे देश में राज किया, जिस व्यवस्था ने देश में बहुसंख्यक लोगों को गुलाम बनाया, उसने असमानता की व्यवस्था को बदल दिया, संविधान ने हर व्यक्ति की आजादी को बरकरार रखा नागरिक, सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया है, सबको समान अवसर दिया है, किया गया है, सभी को न्याय का वादा किया गया है, भाईचारे के मूल्यों को मन में बैठाकर सभी को मानवीय मूल्य प्रदान किए गए हैं और इसलिए यह है हमारे संविधान की रक्षा करना यहां सभी की जिम्मेदारी है।
 सभी भारतीय भाइयों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
जयभीम।
- भास्कर भोजने - सामाजिक कार्यकर्ता

















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