चला बुद्ध और बाबासाहब का सिक्का गुजरात से दिल्ली |



<img src="babasahab-aur-buddha-ka-sikka.jpg" alt="gujarat se dr babasaheb ambedkar and gautam buddha ka 1111 kili ka sikaa dilli me"/>





सरकार द्वारा आज़ादी के ७५ वे साल अमृत महोत्सव " हर घर तिरंगा " तहत मनाया जा रहा है।  तो वही गुजरात से खबर आयी की संविधान निर्माता डॉ बाबासाहब आंबेडकर और गौतम बुद्ध की प्रतिमा का ११११ किलो का सिक्का अहमदाबाद से दिल्ली नाते संसद भवन पहुंचा। जिसका उद्देश्य जाती व्यवस्था को नष्ट करना है। 

यह सिक्का भीम रुदन यात्रा के तहत अहमदाबाद से लेकर दिल्ली पहुंचा। साथ सरकार को २१ लाख के एक एक रुपये के सिक्के भी दिए गए। 

यह सिक्का बनवाने के लिए देश के १४ राज्यों से लोगों  ने २४५० किलो पीतल के बर्तन दिए।  साथ ही इसको बनाने के लिए दो कारगर लगे। वल्लुभाई जाटव और विश्वरंजन जो यूपी और उड़ीसा से है। यह सिक्का ११११ किलो का है जिसकी लम्बाई १० फिट और व्यास २०४.७  सेमी है। २०४.७ सेमि यानी २०४७ मिमी होता है। आजाद देश मे भी घोर छुआछूत, ऊंच नीच, जातिवाद २०४७ तक ख़तम होगा ? यही इस भीम रुदन यात्रा का उद्देश्य है। इस यात्रा को गुजरात  के मानव अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता  मार्टिन मैकवान पिछले दो साल से चला रहे है।      


मराठी अनुवाद 


स्वातंत्र्याच्या ७५ व्या वर्षासाठी सरकारतर्फे ‘हर घर तिरंगा’ अंतर्गत अमृत महोत्सव साजरा केला जात आहे. तर गुजरातमधून अशीच बातमी आली की संविधानाचे शिल्पकार बाबासाहेब आंबेडकर आणि गौतम बुद्ध या दोन पुतळ्यांचे 1111 किलो वजनाचे नाणे अहमदाबाद ते दिल्ली संसद भवनात पोहोचले. जातीव्यवस्था नष्ट करणे हा त्यामागचा उद्देश आहे.

भीम रुदन यात्रेत हे नाणे अहमदाबाद ते दिल्लीपर्यंत पोहोचले. यासोबतच 21 लाखांची एक रुपयाची नाणीही सरकारला देण्यात आली.

हे नाणे बनवण्यासाठी देशातील 14 राज्यांतील लोकांनी 2450 किलो पितळेची भांडी दिली. शिवाय, ते बनवण्यासाठी दोन परिणामकारक वेळ लागला. वल्लूभाई जाटव आणि विश्वरंजन जे यूपी आणि ओरिसाचे आहेत. हे नाणे 1111 किलोग्रॅमचे आहे, ज्याची लांबी 10 फूट आणि व्यास 204.7 सेमी आहे. 204.7 सेमी 2047 मिमी आहे. मुक्त देशातही 2047 पर्यंत स्थूल अस्पृश्यता, उच्च-नीच, जातिवाद संपणार का? हाच या भीम रुदन यात्रेचा उद्देश आहे. गुजरातमधील मानवाधिकार आणि सामाजिक कार्यकर्ते मार्टिन मॅकईवान गेल्या दोन वर्षांपासून ही यात्रा चालवत आहेत.



इंग्लिश अनुवाद 



Amrit Mahotsav is being celebrated by the government under “Har Ghar Tiranga” for the 75th year of independence. So the same news came from Gujarat that the 1111 kg coin of the statues of two Babasaheb Ambedkar and Gautam Buddha, the architects of the constitution, reached the Parliament House from Ahmedabad to Delhi. The aim of which is to destroy the caste system.

This coin reached from Ahmedabad to Delhi under Bhima Rudan Yatra. Along with this, one rupee coins of 21 lakh were also given to the government.

To make this coin, people from 14 states of the country gave 2450 kg brass utensils. Also, it took two effective to make it. Vallubhai Jatav and Vishwaranjan who is from UP and Orissa. This coin is of 1111 kg, whose length is 10 feet and diameter is 204.7 cm. 204.7 cm is 2047 mm. In a free country too, will the extreme untouchability, high and low casteism end by 2047? This is the purpose of this Bhima Rudan Yatra. Martin McEwan, a human rights and social activist from Gujarat, has been running this yatra for the last two years.










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