हर साल खास दिन तथागत बुद्ध के चेहरे पर एलोरा की गुफा मे सुर्य की किरणें गिरतीं है और ज्ञान के सुर्य तथागत बुद्ध का चेहरा प्रकाशमान होता है| हर साल एक खास दिन पर यह नजारा दिखाई देता है और इसके लिए प्राचीन बौद्ध कलाकारों ने बेहद वैज्ञानिक अध्ययन से यह उपलब्धि हासिल की थी|
इसके विपरीत, कल रामनवमी के दिन राम की मुर्ति पर फोकस डालकर ब्राह्मण बताने लगे की सुर्य की किरणें राम मुर्ति पर गिरी है| यह असली सुर्य किरणें नहीं है बल्कि नकली सुर्य किरणें है|
एलोरा की ओरिजिनल कलाकारी की ब्राह्मणों ने नकल करने का प्रयास किया है| इसी तरह, ब्राह्मणों का संपुर्ण साहित्य, इतिहास, परंपरा और उत्सव प्राचीन बौद्ध सभ्यता की नकल मात्र है| ब्राह्मणों ने अभीतक कुछ भी नया नहीं किया है, बल्कि प्राचीन बौद्ध इतिहास की सिर्फ नकल कर लोगों को बेवकूफ बनाया है और प्राचीन बौद्धों को हिंदू बनाया है|
वर्तमान सभी SC, ST, OBC, मायनोरिटी, क्षत्रिय और वैश्य लोग प्राचीन बौद्ध हैं| सम्राट अशोक (इसा पूर्व 3 री सदीं) से सम्राट हर्षवर्धन (7 वी सदीं) तक संपुर्ण भारत बौद्ध भारत था और भारत के सभी लोग बौद्ध थें| तो प्रश्न पैदा होता है कि, वह बौद्ध कहाँ गए?
वह सभी बौद्ध हिंदू मुस्लिम बन गए है| प्राचीन बौद्ध विहारों को मंदिरों और मस्जिदों में तब्दील किया गया और प्राचीन बौद्ध उत्सवों का ब्राह्मणीकरण किया गया है|
बहुजनों को उनके वास्तविक गौरवशाली बौद्ध इतिहास को समझना होगा और उसे अपनाना होगा, तभी भारत एक विकसित और एकजुट भारत बनेगा| नकली को छोडो़ और असली बौद्ध इतिहास, परंपरा, सभ्यता और उत्सवों को अपनाओ|
- साभार -डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क
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